तेरे लिए चलते थे

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तेरे लिए चलते थे..
तेरे लिए चलते थे हम तेरे लिए ठहर गए
तू ने कहा तो जी उठे तू ने कहा तो मर गए
वक़्त ही जुदाई का इतना तवील हो गया
दिल में तेरे विसाल के जितने थे ज़ख़्म भर गए
होता रहा मुक़ाबला पानी का और प्यास का
सहरा उमड़ उमड़ पड़े दरिया बिफर बिफर गए
वो भी ग़ुबार-ए-ख़्वाब था हम ग़ुबार-ए-ख़्वाब थे
वो भी कहीं बिखर गया हम भी कहीं बिखर गए
आज भी इंतज़ार का वक़्त हुनूत हो गया
ऐसा लगा के हश्र तक सारे ही पल ठहर गए
इतने क़रीब हो गए अपने रक़ीब हो गए
वो भी 'अदीम' डर गया हम भी 'अदीम' डर गए

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