बदन में आग

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बदन में आग..
बदन में आग सी चेहरा गुलाब जैसा है
के ज़हरे-ग़म का नशा भी शराब जैसा है
कहाँ वो कुर्ब के अब तो ये हाल है जैसे
तेरे फिराक का आलम भी ख्वाब जैसा है
इसे कभी कोई देखे कोई पढे तो सही
दिल आइना है तो चेहरा किताब जैसा है
'फ़राज़' संगे-मलामत से ज़ख्म-ज़ख्म सही
हमें अज़ीज़ है, खानाखाराब, जैसा है

This is a great अधूरे ख्वाब शायरी. If you like आपका चेहरा शायरी then you will love this. Many people like it for उदास चेहरा शायरी.

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