आँखें शराब:

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आँखें शराब
आँखें शराब खाना
दिल हो गया दीवाना
नजरों के तीर खा कर
घायल हुआ जमाना
भटकेंगी ये तो दर-दर
नजरों का क्या ठिकाना
नजरों की कदर करना
नजरों से ना गिराना
नज़रों की आब, इज्जत
इस को सदा बढ़ाना
शर्म-ओ-हया का जेवर
नज़रों का है खज़ाना
नज़रों के दायरे में
गैरों को ना बसाना
नज़रों में बंद रखना
तुम राज-ए-दिल छुपाना!

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