अर्ज़ किया है चुप-चाप चल रहा था मैं मंज़िल की ओर

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अर्ज़ किया है चुप-चाप चल रहा था मैं मंज़िल की ओर
फिर ठेके पर नज़र पड़ी और हम गुमराह हो गए

This is a great गुमराह शेरो शायरी.

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