एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे

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एक सिलसिले की उम्मीद थी जिनसे
वही फ़ासले बनाते गये
हम तो पास आने की कोशिश में थे
ना जाने क्यूँ वो हमसे दूरियाँ बढ़ाते गये

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