कितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत पर

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कितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत पर
जब चाहा याद किया जब चाहा भुला दिया
बहुत अच्छे से जानता है वो मुझे बहलाने के तरीके
जब चाहा हँसा दिया जब चाहा रुला दिया

This is a great चाहत कि शायरी. If you like अपनी पहचान शायरी then you will love this. Many people like it for किसी की चाहत शायरी. Share it to spread the love.

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