एहा संधिआ परवाणु है जितु हरि प्रभु मेरा चिति आवै ॥

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एहा संधिआ परवाणु है जितु हरि प्रभु मेरा चिति आवै ॥
हरि सिउ प्रीति ऊपजै माइआ मोहु जलावै ॥
गुर परसादी दुबिधा मरै मनूआ असथिरु संधिआ करे वीचारु ॥
नानक संधिआ करै मनमुखी जीउ न टिकै मरि जमै होइ खुआरु ॥१॥
गुरुपुरब की हार्दिक बधाई!

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