हर बार की तरह इस बार भी 'आंसू' बहाऊंगा

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हर बार की तरह इस बार भी 'आंसू' बहाऊंगा;
तुम मुझसे दूर हो तो मैं कैसे ये 'ईद' मनाऊंगा;
एक तरफ 'ईद' की ख़ुशी और एक तरफ 'तेरा' गम;
छोड़ी है बात 'तुम' पे तुम ही 'जानों;'
मैं अपने अंदर के जख्म 'किसी' को ना दिखाऊंगा।
ईद मुबारक!

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