हुस्न पर जब भी मस्ती छाती हैहुस्न पर जब भी मस्ती छाती हैतब शायरी पर बहार आती हैपीके महबूब के बदन की शराबजिंदगी झूम-झूम जाती है
सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमनेसिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमनेहसीन जिस कि जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है
चमन में जा के हम ने ग़ौर से औराक़-ए-गुल देखेचमन में जा के हम ने ग़ौर से औराक़-ए-गुल देखेतुम्हारे हुस्न की शरहें लिखी हैं इन रिसालों में
तेरे हुस्न को परदे की ज़रूरत ही क्या है ज़ालिमतेरे हुस्न को परदे की ज़रूरत ही क्या है ज़ालिमकौन रहता है होश में तुझे देखने के बाद
हुस्न वालों को क्या जरूरत है संवरने कीहुस्न वालों को क्या जरूरत है संवरने कीवो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं