इश्क़ में हमने वही किया जो फूल करते हैं बहारों मेंइश्क़ में हमने वही किया जो फूल करते हैं बहारों मेंखामोशी से खिले, महके और फिर बिखर गए
तुझको पाकर भी न कम हो सकी बेताबि-ए-दिलतुझको पाकर भी न कम हो सकी बेताबि-ए-दिलइतना आसान तिरे इश्क़ गम था भी कहां
क्या इश्क़ एक ज़िंदगी-ए-मुस्तआर काक्या इश्क़ एक ज़िंदगी-ए-मुस्तआर काक्या इश्क़ पाएदार से ना-पाएदार कावो इश्क़ जिस की शमा बुझा दे अजल की फूँकउस में मज़ा नहीं तपिश-ओ-इंतिज़ार का
हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथहम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथले जाते दिल को ख़ाक में इस आरज़ू के साथ
मुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी को जीतनामुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी को जीतनाकुछ जीतने के ख़ौफ़ से हारे चले गए