Baat Karni Mushkil:Baat karni mushkilBaat karni mushkil kabhi aisi toh na thiJaisi ab hai teri mehfil kabhi aaisi toh na thiLe geya cheen ke kaun aaj tera sabr-o-qararBe-qarari tujhe ai dil kabhi aaisi toh na thiTeri aankhon mein khudaa jane kya-kya jaaduKi tabiyat meri mayal kabhi aaisi toh na thiKya sbab tu jo bigarta hai 'zafar' se har baarKho teri hoor shamil kabhi aaisi toh na thi
कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल हैकहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल हैयहाँ परियों का मजमा है, वहाँ हूरों की महफ़िल हैइलाही कैसी-कैसी सूरतें तूने बनाई हैंके हर सूरत कलेजे से लगा लेने के क़ाबिल हैये दिल लेते ही शीशे की तरह पत्थर पे दे मारामैं कहता रह गया ज़ालिम मेरा दिल है, मेरा दिलहै जो देखा अक्स आईने में अपना बोले झुंजलाकरअरे तू कौन है, हट सामने से क्यों मुक़ाबिल हैहज़ारों दिल मसल कर पांओ से झुंजला के फ़रमायालो पहचानो तुम्हारा इन दिलों में कौन सा दिल है।
सीने में जलनसीने में जलसीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यूँ हैइस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूँ हैदिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढेपत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान-सा क्यूँ हैतन्हाई की ये कौन-सी मन्ज़िल है रफ़ीक़ोता-हद्द-ए-नज़र एक बियाबान-सा क्यूँ हैहमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म कीवो ज़ूद-ए-पशेमान, परेशान-सा क्यूँ हैक्या कोई नई बात नज़र आती है हममेंआईना हमें देख के हैरान-सा क्यूँ है
आजकल बज़्म में आते हुए डर लगता हैआजकल बज़्म में आते हुए डर लगता हैक्या कहें कुछ भी सुनाते हुए डर लगता हैबात करते थे कभी दिल से दिल मिलाने कीआज तो आँख मिलाते हुए डर लगता हैप्यार करते हैं तुम्हें यह तो सही है लेकिनतुमको यह बात बताते हुए डर लगता हैजबसे इंन्सानों की बस्ती में बसे हैं यारोख़ुद को इंसान बताते हुए डर लगता हैइस क़दर हमको छला दिन के उजालों ने यहाँअब कोई दीप जलाते हुए डर लगता हैये मेहरबान कहीं तेरा क़फन छीन न लेंलाश मरघट पे सजाते हुए डर लगता है।
जाने कब से तरस रहे हैजाने कब से तरस रहे हजाने कब से तरस रहे हैं, हम खुल कर मुस्कानें कोइतने बन्धन ठीक नहीं हैं, हम जैसे दीवानों कोलिये जा रहे हो दिल मेरा, लेकिन इतना याद रहेबेच न देना बाज़ारों में, इस अनमोल ख़जाने कोतन की दूरी तो सह लूँगा, मन की दूरी ठीक नहींप्यार नहीं कहते हैं केवल, आँखों के मिल जाने कोयह अपना दुर्भाग्य विधाता, ने तन दिया अभावों कामन दे दिया किसी राजा का, जग में प्यार लुटाने कोसुख-दुख अगर देखना है तो, अपने चेहरे में देखोहोंठ मिले हैं मुस्कानें को, आँखें अश्क़ बहाने को।
ज़रा-सी देर मेंज़रा-सी देर मेज़रा-सी देर में दिलकश नज़ारा डूब जायेगाये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगान जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैंहमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगासफ़ीना हो के हो पत्थर, हैं हम अंज़ाम से वाक़िफ़तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगासमन्दर के सफर में किस्मतें पहलू बदलती हैंअगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगामिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमकोकिसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा